प्रथम् पाठ:  मधुरा प्रभातवेला

 

पाठ का अर्थ: 
वाह  सुहावनी  प्रभात  बेला  है|  आसमान  में  सूरज  उगता है|  अन्धकार  गया|  सब तरफ  प्रकाश  ही   प्रकाश है| पक्षियाँ आकाश  में  यहाँ  वहाँ  घूमते हैं|  वृक्ष से बन्दर कूदते हैं| सभी  लोग प्रशन्न  होते हैं| वे  बगीचे मे  घूमते और दौड़ते  हैं| बच्चें भी बगीचे मे खेलते  हैं| जानवर  भी  प्रशन्न  होते  हैं| वे  वन  मे  यहाँ  वहाँ  जाते  हैं| सभी  लोग अपने  कामों  में व्यस्त  होंगे|  वाह! धन्य  हो  ऐसी  एक  सुखदायक  प्रभात  बेला  की|